देहरादून

शासन और वन मुख्यालय के स्तर पर बैठक, प्रस्ताव को बढ़ाया गया आगे, जल्द हो सकता है बड़ा फैसला,,,।

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वन विभाग में डिप्टी रेंजर्स को मिलने जा रही खुशखबरी, टेरिटोरियल डिवीजन को लेकर आया बड़ा अपडेट

देहरादून/उत्तराखंड*** उत्तराखंड वन विभाग में डिप्टी रेंजर्स को शासन बड़ी खुशखबरी दे सकता है. इसके तहत साल 2013 के उस आदेश पर पुनर्विचार किया जा रहा है, जो डिप्टी रेंजर्स को टेरिटोरियल डिवीजन (आरक्षित वन प्रभाग) में तैनाती का अधिकारी नहीं देता. खास बात यह है कि वन मुख्यालय ने इस संदर्भ में प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है.

वन विभाग में खाली पड़ी रेंजों को भरने के लिए शासन इन दिनों होमवर्क कर रहा है. दरअसल प्रदेश के 40 से ज्यादा टेरिटोरियल डिविजन मौजूदा समय में खाली चल रही हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि एक आदेश के चलते इन डिविजन में डिप्टी रेंजर्स को प्रभारी रेंजर के तौर पर तैनाती नहीं दी जा सकती. यही नहीं करीब 50 से ज्यादा ऐसे डिवीजन भी खाली हैं जो सिविल सोयम या यूनिट्स में आते हैं. यह स्थिति तब है जब हाल ही में करीब 53 डिप्टी रेंजर्स को प्रभारी डिप्टी रेंजर्स के तौर पर जिम्मेदारी दी गई थी.

हाल ही में शासन स्तर पर हुई एक बैठक के दौरान वन विभाग में रिक्त चल रही डिवीजन को भरने का फैसला लिया गया है. इसे गंभीरता से लेते हुए साल 2013 के आदेश पर भी विचार किया गया है. इस तरह कोशिश यह हो रही है कि साल 2013 के आदेश की बाध्यता को खत्म करते हुए डिप्टी रेंजर्स को खाली रेंज में जिम्मेदारी दी जा सके.

उत्तराखंड वन विभाग में रेंजर्स की भारी कमी है. इसीलिए कई टेरिटोरियल डिवीजन खाली पड़े हैं. एक तरफ रेंजर्स नहीं हैं. दूसरी तरफ डिप्टी रेंजर्स को पूर्व में हुए आदेश के कारण डिवीजन की जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती. इसी स्थिति को देखते हुए बीच का रास्ता निकाला जा रहा है. जिससे प्राथमिकता के आधार पर रेंजर्स को टेरिटोरियल डिवीजन दी जा सके. वैसे इससे पहले भी आदेश के बावजूद डिप्टी रेंजर्स को डिवीजन में प्रभारी रेंजर्स के रूप में तैनाती देने का काम किया गया था. उस दौरान विभाग के ही रेंजर्स की तरफ से कोर्ट की शरण लेने के बाद इस पर वन विभाग को कदम पीछे खींचने पड़े. अब इस आदेश की बाध्यता पर भी विचार हो रहा है. इसके लिए बीच का रास्ता निकालने की कोशिश भी हो रही है.

इस मामले में डिप्टी रेंजर्स की तरफ से भी वन विभाग से यह मांग होती रही है कि जब तक डिवीजन में रेंजर्स की कमी है तब तक प्रभारी रेंजर्स के रूप में उन्हें जिम्मेदारी दे दी जाए. इस मामले में वन विभाग में मानव संसाधन की जिम्मेदारी देख रही मीनाक्षी जोशी ने कहा मामले को लेकर शासन स्तर पर बैठक हो चुकी है. बैठक में वन मुख्यालय से प्रस्ताव मांगा गया था. जिसके बाद यह प्रस्ताव तैयार करते हुए इसे शासन को भेज दिया गया है. शासन और वन मुख्यालय के स्तर पर बैठक और प्रस्ताव की इस प्रक्रिया के आगे बढ़ने के कारण ही यह माना जा रहा है कि जल्द ही इस पर शासन कोई फैसला लिया जा सकता है. जिसके बाद राज्य में डिप्टी रेंजर्स को टेरिटोरियल डिवीजन में तैनाती भी मिल सकती है.

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