हरिद्वार उत्तराखंड

6- ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना ने ‘खुशी स्वयं सहायता समूह’ को बनाया लखपति: फूलों की खेती से खुली समृद्धि की राह,,,,।

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हरिद्वार/उत्तराखंड*** मुख्य विकास अधिकारी हरिद्वार आकांक्षा कोण्डे के निर्देशों के क्रम में जनपद हरिद्वार के समस्त विकासखंडों में अल्ट्रा पूवर सपोर्ट, एंटरप्राइजेज (फॉर्म & नॉन फॉर्म), सीबीओ लेवल के एंटरप्राइजेज की स्थापना की गई है। इसी कड़ी में, ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के सहयोग से, नारसन विकासखंड के हरचंदपुर गांव के ‘खुशी स्वयं सहायता समूह’ ने फूलों की खेती (फ्लोरीकल्चर) के अपने व्यवसाय को नई पहचान और समृद्धि दिलाई है।
पहले, ‘खुशी स्वयं सहायता समूह’ फूलों की खेती अत्यंत सूक्ष्म स्तर पर कर रहा था। समूह की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी और वे जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं भी पूरी नहीं कर पा रहे थे। तभी एन.आर.एल.एम. की टीम उनके पास पहुँची और उन्हें समूह से जुड़ने के लाभों के बारे में बताया गया, जिसके परिणामस्वरूप ‘खुशी स्वयं सहायता समूह’ का गठन हुआ। समूह गठन की तिथि 16 जनवरी, 2025 है और इसकी अध्यक्षा आंचल देवी हैं। समूह से जुड़ने के बाद, उन्हें ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना से न केवल आर्थिक और सामाजिक सहयोग मिला, बल्कि फ्लोरीकल्चर उत्पादन को व्यावसायिक ढंग से करने का प्रशिक्षण भी प्राप्त हुआ, जिसने उनकी सफलता की यात्रा का मार्ग प्रशस्त किया।
ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना ने ‘खुशी स्वयं सहायता समूह’ को ग्राम मुंडलाना में स्थापित ‘श्री राधे कृष्णा बहुद्देश्यीय स्वायत्त सहकारिता (सी.एल.एफ.)’ से जोड़ा। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए, नारसन ब्लॉक द्वारा समूह के लिए 10 लाख रुपये का एक विस्तृत व्यावसायिक प्लान तैयार किया गया। इस योजना के तहत, समूह को बैंक से 3 लाख रुपये का ऋण दिलाया गया, साथ ही लाभार्थियों ने स्वयं 1 लाख रुपये का अंशदान किया और परियोजना द्वारा 6 लाख रुपये की अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान की गई। इस महत्वपूर्ण सहयोग से लाभार्थियों के पास कार्यशील और स्थायी पूंजी का वह अभाव दूर हो गया, जो उनके व्यवसाय के विस्तार में बाधा बन रहा था।
आज, ‘खुशी स्वयं सहायता समूह’ पूरे उत्साह के साथ अपने व्यवसाय को बढ़ा रहा है। वर्तमान में वे 9 बीघा जमीन पर गेंदे के फूलों की खेती कर रहे हैं और एक सफल व्यावसायिक इकाई के रूप में स्थापित हो चुके हैं। पिछले छह महीनों (एक साइकिल) में, समूह ने 20,000 पौधे ₹12 प्रति पौधे की दर से खरीदे, कुल ₹2,40,000 की लागत आई। उन्होंने 30,000 किलोग्राम फूल ₹30 प्रति किलोग्राम की दर से बेचे, जिससे ₹9,00,000 की बिक्री हुई। सभी खर्चों (जैसे खाद, बीज, भूमि किराया, मजदूरी, परिवहन, आदि) को घटाने के बाद, समूह ने ₹4,21,800 का शुद्ध लाभ अर्जित किया है। ‘खुशी स्वयं सहायता समूह’ की यह सफलता प्रधानमंत्री जी द्वारा देखे गए ‘लखपति दीदी’ के सपने का एक प्रत्यक्ष प्रमाण है। यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो दृढ़ संकल्प और सही समर्थन से अपनी और अपने परिवार की जिंदगी बदल सकते हैं।

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